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Balkrishna Gupte Biography in Hindi - बालकृष्ण गुप्ते की जीवनी हिंदी में।

इस आर्टिकल में हम बात करेंगे बालू गुप्ते या बालकृष्ण बाबूराव गुप्ते, एक प्रमुख भारतीय क्रिकेटर थे, जो मुख्य रूप से अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे। इस लेख में हम गुप्ते की क्रिकेट की दुनिया को विस्तार से समझेंगे। जैसे कि, गुप्ते का क्रिकेट की दुनिया में आगमन कैसे हुआ, गुप्ते का क्रिकेट करियर कैसा रहा आदि के बारे में जानेंगे। अत: इस लेख Balkrishna Gupte Biography in Hindi को अंत तक जरूर पड़ें।
Balkrishna Gupte Biography in Hindi - बालकृष्ण गुप्ते की जीवनी हिंदी में।

Balkrishna Gupte 

  • पूरा नाम: बालकृष्ण चंद्रकांत गुप्ते
  • जन्मतिथि: 19 सितंबर, 1927
  • जन्म स्थान: बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र, भारत
  • मृत्यु तिथि: 5 मई 2001
  • प्रमुख टीमें: भारत, बॉम्बे (अब मुंबई)
  • भूमिका निभाना: गेंदबाज
  • बल्लेबाजी शैली: बाएं हाथ से
  • गेंदबाजी शैली: बाएं हाथ से ऑर्थोडॉक्स स्पिन

प्रारंभिक जीवन :
बालकृष्ण गुप्ते का जन्म 28 जून, 1927 को बॉम्बे, ब्रिटिश भारत (अब मुंबई, भारत) में हुआ था। वह क्रिकेट-प्रेमी माहौल में पले-बढ़े, जिसने छोटी उम्र से ही खेल के प्रति उनके जुनून को प्रेरित किया।

घरेलू कैरियर :
बालकृष्ण गुप्ते ने 1946-47 में रणजी ट्रॉफी में बॉम्बे (अब मुंबई) के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। उन्होंने जल्द ही खुद को एक कुशल स्पिनर के रूप में स्थापित कर लिया, जो अपनी सटीकता, उड़ान और सूक्ष्म विविधताओं के साथ बल्लेबाजों को धोखा देने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। गुप्ते भारतीय घरेलू क्रिकेट में अपने प्रभुत्व के युग के दौरान बॉम्बे टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।

अंतर्राष्ट्रीय कैरियर :
बालकृष्ण गुप्ते ने 1951-52 श्रृंखला में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। वह 1950 के दशक के दौरान वीनू मांकड़ के साथ एक मजबूत स्पिन जोड़ी बनाकर भारत के प्रमुख स्पिनर बन गए। गुप्ते का सबसे यादगार प्रदर्शन 1958 में वेस्टइंडीज के खिलाफ था जब उन्होंने कानपुर में चौथे टेस्ट में 102 रन देकर 9 विकेट लिए और भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। कुल मिलाकर, उन्होंने भारत के लिए 36 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 29.55 की प्रभावशाली औसत से 149 विकेट लिए।

खेलने की शैली :
बालकृष्ण गुप्ते अपनी शास्त्रीय बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स स्पिन गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे। उनके पास सहज, लयबद्ध एक्शन था और वह बल्लेबाजों को चकमा देने के लिए उड़ान, चालाकी और गति तथा स्पिन में सूक्ष्म विविधताओं पर भरोसा करते थे। गुप्ते टर्निंग पिचों पर विशेष रूप से प्रभावी थे, जहां वह अद्भुत टर्न और उछाल हासिल करने की अपनी क्षमता का फायदा उठा सकते थे।

संन्यास और बाद का जीवन :
बालकृष्ण गुप्ते ने 1961 में इंग्लैंड दौरे के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। अपने अपेक्षाकृत छोटे अंतरराष्ट्रीय करियर के बावजूद, उन्होंने अपनी कुशल स्पिन गेंदबाजी से भारतीय क्रिकेट पर अमिट प्रभाव छोड़ा। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह युवा क्रिकेटरों के कोच और गुरु के रूप में इस खेल से जुड़े रहे। अपने क्रिकेट करियर के बाद, गुप्ते खेल से जुड़े रहे और अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों को अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान प्रदान किया। 5 मई 2001 को भारत के सबसे बेहतरीन स्पिन गेंदबाजों में से एक के रूप में अपनी विरासत छोड़कर उनका निधन हो गया। बालकृष्ण गुप्ते का भारतीय क्रिकेट में योगदान, विशेषकर 1950 के दशक के दौरान, प्रशंसकों और क्रिकेट प्रेमियों द्वारा समान रूप से सराहा जाता है।

Conclusion :

दोस्तों अब आप जान चुके हो बालकृष्ण गुप्ते के सम्पूर्ण जीवन और किक्रेट की दुनिया के बारे में पहुंचे जाने वाले सभी प्रश्नों का जवाब, यदि और कोई प्रश्न मुझसे पूछना है तो iamkushkumarsaini@gmail.com ईमेल के जरिए कांटेक्ट करें।

FAQ :

Q: बालकृष्ण गुप्ते का जन्म कब हुआ था?
Ans: बालकृष्ण गुप्ते का जन्म 19 सितंबर 1927 में हुआ था।

Q: बालकृष्ण गुप्ते ने सबसे पहले अंतराष्ट्रीय एकदिवसीय टेस्ट मैच कब और किसके खिलाफ खेंला?
Ans: बालकृष्ण गुप्ते ने सबसे पहले अंतराष्ट्रीय एकदिवसीय टेस्ट मैच 1951-1952 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेंला।

Q: बालकृष्ण गुप्ते ने संन्यास कब लिया था?
Ans: बालकृष्ण गुप्ते ने संन्यास 1961 में लिया था।

Q: बालकृष्ण गुप्ते का निर्धन कब हुआ था?
Ans: बालकृष्ण गुप्ते का निर्धन 5 मई 2001 में हुआ था।

















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