Coimbatarao Gopinath
- पूरा नाम: कोयंबटूर राव गोपीनाथ
- जन्म तिथि: 26 मई 1924
- जन्म स्थान: चेन्नई (मद्रास) तमिलनाडु, भारत
- प्रमुख टीमें: भारत, मद्रास (अब तमिलनाडु)
- खेल भूमिका: सलामी बल्लेबाज
- बल्लेबाजी शैली: दाएं हाथ का बल्ला
- गेंदबाजी शैली: दाएं हाथ का मध्यम
- मृत्यु तिथि: 6 नवंबर 2005
प्रारंभिक जीवन :
सी. डी. गोपीनाथ का जन्म मद्रास में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने क्रिकेट में कम उम्र से ही दिलचस्पी दिखाई और स्कूल के दिनों में ही खेलना शुरू कर दिया था। गोपीनाथ की क्रिकेट प्रतिभा कम उम्र से ही स्पष्ट थी और वे जल्द ही स्कूल और कॉलेज क्रिकेट में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए।
घरेलू करियर :
गोपीनाथ ने रणजी ट्रॉफी में मद्रास (अब तमिलनाडु) के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने जल्द ही खुद को घरेलू सर्किट में एक विश्वसनीय बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर लिया। मद्रास के लिए उनका प्रदर्शन लगातार प्रभावशाली रहा और उन्होंने रणजी ट्रॉफी में उनकी कई जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गोपीनाथ ने रणजी ट्रॉफी में मद्रास (अब तमिलनाडु) के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने जल्द ही खुद को घरेलू सर्किट में एक विश्वसनीय बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर लिया। मद्रास के लिए उनका प्रदर्शन लगातार प्रभावशाली रहा और उन्होंने रणजी ट्रॉफी में उनकी कई जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंतर्राष्ट्रीय करियर :
उल्लेखनीय प्रदर्शन :
- पहली टेस्ट सीरीज़ (1951-52): गोपीनाथ ने इंग्लैंड के खिलाफ 1951-52 सीरीज़ में पदार्पण किया। हालांकि भारत ने सीरीज गंवा दी, लेकिन गोपीनाथ ने अपनी बल्लेबाजी तकनीक और स्वभाव से उम्मीदें जगाईं।
- वेस्ट इंडीज का दौरा (1952-53): वे वेस्टइंडीज का दौरा करने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। गोपीनाथ ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में खेला और दौरे से बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किया।
सांख्यिकी :
- टेस्ट: 8 मैच, 242 रन, औसत 15.12, उच्चतम स्कोर 50 रहा।
- प्रथम श्रेणी: 78 मैच, 3372 रन, औसत 28.10, 7 शतक और 18 अर्धशतक
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, सी. डी. गोपीनाथ विभिन्न क्षमताओं में खेल से जुड़े रहे। उन्होंने प्रशासनिक भूमिकाएँ निभाईं और तमिलनाडु में क्रिकेट के विकास में योगदान दिया। खेल के बारे में गोपीनाथ के ज्ञान और अनुभव ने उन्हें भारतीय क्रिकेट हलकों में एक सम्मानित व्यक्ति बना दिया। गोपीनाथ को एक समर्पित क्रिकेटर के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट के शुरुआती दौर में खेला। घरेलू क्रिकेट में उनके योगदान, खासकर तमिलनाडु के लिए, काफ़ी सम्मान किया जाता है। हालाँकि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर छोटा था, लेकिन उन्होंने अपने साथ और उनके खिलाफ़ खेलने वालों पर एक अमिट छाप छोड़ी। गोपीनाथ ने रिटायरमेंट के बाद निजी जीवन जिया, अपने परिवार और क्रिकेट प्रशासन पर ध्यान केंद्रित किया। वे तमिलनाडु के कई युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा रहे हैं और क्रिकेट समुदाय में उनका सम्मान किया जाता है। गोपीनाथ का क्रिकेट में सफ़र खेल के प्रति उनके समर्पण और जुनून का प्रमाण है। मैदान पर और मैदान के बाहर उनके योगदान ने भारतीय क्रिकेट पर एक अमिट छाप छोड़ी है।